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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract Children Stories Children

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SARVESH KUMAR MARUT

Abstract Children Stories Children

वर्षा देखकर हर्षा दिल

वर्षा देखकर हर्षा दिल

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वर्षा देखकर हर्षा दिल, 

रिमझिम-रिमझिम,हिलमिल-हिल।

प्यासी धरा अब हो उठी खिल,

बिजली चमकी चिल-चिल-चिल।

बच्चे दौड़े हिल-मिल-हिल, 

बच्चे गये तब सभी फिसल।

मेंढ़कों के अब बने महल, 

फ़िर ज़ोर से बोले टिर-टिर-टिर।

सभी बोले अब सब मिलकर, 

वर्षा गई अब और भी बढ़।

वर्षा ऋतु का है यह पहर, 

सब ऋतुओं से है बढ़कर।

अकड़े गली आँगन औ नहर, 

पानी निकला फर-फर-फर।

नदी तालाब सब गये उफ़न, 

वृक्ष देखकर सब गए तन।

वर्षा का तब झूमा मन, 

वर्ष-वर्ष और वर्षा कर।

टिप-टिप,टिप-टिप,टिप-टिप कर

टिम-टिम, टिम-टिम सभी पहर।


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