धरा वंशम
धरा वंशम
सनातन धर्म की मूलमंत्र निराली
सब एक सम, सब की एक ही
थाली
वसुधा एक है, एक ही नभ
एक विधाता करता सबकी
रखवाली।
न रंग, न रूप, न वर्ण-वर्ग का
भेद हो
वन, वृक्ष, प्राणी सब अमूल्य
सबकी रक्षा करे मनुष्य तो
उसका भाव हो जाये अतुल्य।
पृथ्वी वासी एक कुटुम्ब भांति
चाहे अलग हो स्तर या भिन्न हो
जाती
सब हैं एक ही प्राण के अधिपति
एक दूसरे से उदारता में ही
सामंजस्य है समाती।
हर इक से सबका नाता है
फिर क्यों किसी का ख़ून बहाता है
इसके परिजन रोये लाख अगर
तेरा भी तो वंशज खोता है।
रक्त लहू सब एक जैसे
अलग सा सिर्फ स्वभाव
हाथ मिलाकर मुट्ठी बन जाओ
न रहेगा कोई अभाव।
चाहे प्रान्त अलग हो या देश
पोशाक भिन्न या भिन्न हो वेश
शांति एयर प्रेम की वार्ता
फैलाओ
न उपजेगा कोई कलेश।
धरा वंश के हम सब भागीदारी
रक्षा करो हे त्रयम्बकम....
कोटि-कोटि नमन महा उपनिषद को
उल्लेख किया वसुधैव कुटुम्बकम
