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Keyurika gangwar

Classics Inspirational

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Keyurika gangwar

Classics Inspirational

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

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देखा है मैंने,निज गर्व अपनाते हुए।

देखा है मैंने हिंदी को, निज गर्व अपनाते हुए।

नेताजी के भाषण में, बीच चौराहे पर इठलाते हुए।।


एक दिवस की साज -सज्जा, एक दिवस का बनाव श्रृंगार।

करते हैं जिसको बस एक ही दिन नमन बारम्बार।


विद्यालय में हँसी-ठिठोली का, बनी है एक पात्र।

अंग्रेजी के वर्चस्व में, बनीं अभागन बार-बार।


भारत माँ की बिटिया, उपेक्षित जीवन काट रही।

उसकी प्यारी,लाडली ,सौतन का जीवन काट रही।


कष्टप्रद है यह स्थिति, जीवन सवाँरना होगा।

हिंदी की सौतन(अंग्रेजी)को इस घर से निकालना होगा।


तभी मिलेगा पूर्ण सम्मान, इठलायेगी यह स्वयं पर।

तब होगा स्वप्न पूर्ण हमारा, गर्व करेगी तब स्वयं पर।


देखूँगी तब मैं, निज गर्व अपनाते हुए।

हिंदी को अपने अस्तित्व से मिलवाते हुए।


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