STORYMIRROR

Prem Bajaj

Abstract

4  

Prem Bajaj

Abstract

सोलमेट

सोलमेट

1 min
426

सोलमेट

किसे कहूँ मैं सोलमेट ?

कहते है जो जान से प्यारा होता है,

उसे कहते है सोलमेट।


ना जानूँ मैं कौन है मुझे जान से प्यारा

वो जो मेरी डोली लाया या उसे

जिसके नैनो की डोली में

खुद को देखती थी हर पल।


वो जो मेरा ख़्याल रखता है

हर पल या वो जो मुझे

कनखियो से ताकता था हर पल।

वो जिसके साथ मैंने सात फेरे लिए

या वो जिसके साथ मैनें

मन का बन्धन बाँधा।


वो जो मेरी बिन कहे हर बात पूरी करता है

या वो जो मुझे कुछ नहीं दे सकता था,

पर जान देने में नहीं हिचकिचाता था।

हाँ किसे कहूँ मैं सोलमेट

उसे जिसके साथ मैंने जीवन भर

साथ निभाने की कसमें खाई हैं,


जिसके लिए मैं जी रही हूँ,

या उसको जो हर पल मेरा

दिल बन के धड़कता है,

वो जो मेरे लहू में बसता है,

वो जिसकी सूरत मेरी आँखों से

ओझल नहीं होती।


वो जिसके साथ जि़न्दगी बिता रही हूँ,

या वो जिसके साथ कुछ टल ही सही

मैंने वो पल बिताए नहीं जीए थे

नहीं जानती किसे कहते हैं

सोलमेट कोई तो बताओ ?


ഈ കണ്ടെൻറ്റിനെ റേറ്റ് ചെയ്യുക
ലോഗിൻ

Similar hindi poem from Abstract