बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
विज्ञान की महिमा
अपरम्पार है
जिसका तर्क ही
आधार हैं
परिन्दों से मत पूछो कि
उनका आशियां कहाँ है
जहां ठहर जायें
वही बसेरा है
सवेरा होते ही उड़ जाते हैं
खुले आसमां में
साँझ तले घोसले में
सिमट कर रह जाते हैं
ये तो है उनका हर दिन का
ज़िन्दगी का सफर
कुछ ऐसा ही
हाले दिल है बाल मनोविज्ञान का
आज बच्चे आपके घर आंगन को
महकाते है
तो कल के नये सवेरे में
दूजे गुलिस्तान में
उड़ जाते है
और इस तरह दोनों जहां को
फूलों की खुशबू से
जन्नत सा रोशन कर जाते है
परिन्दे हो या बाल मन
फर-फर कर उड़ जाते है