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Usha Gupta

Tragedy

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Usha Gupta

Tragedy

आधारहीन बचपन

आधारहीन बचपन

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खड़ा सड़क किनारे नन्हा सा बालक,

भर गये नेत्र तो अश्रुओं से, भरे पेट कैसे?

चेहरे पर स्पष्ट झलकता प्रश्न चिन्ह।

मिला न आँचल का माँ इसे,

पिता छोड़ सड़क पर,

बालक को आधार रहित, 

हो मुक्त जिम्मेदारियों से,

खो गया कहीं दुनिया के मेले में,

अथवा रहा न साया पिता का,

है असमर्थ माँ पालने में पेट।

है कारण दर्द भरे अनेक जो,

कर दतें हैं ला खड़ा इन्हें सड़क पर,

आधारहीन……..

नहीं कर पाते महसूस हम दर्द इनका,

फिर भी हो जाते हैं खड़े रौंगटे,

सुन असहनीय दास्ताँ इन बालकों की।


हृदयहीन, कठोर, निष्ठुर मानव,

 धन के लिये तत्पर सदैव करने को अपराध,

ले आते अपने पास,

दे लालच दो कौर निवाले के,

आधारहीन इन बालकों को। 

बना भिक्षुक भेज दिये जाते हैं सड़कों पर,

तोड़ हाथ पाँव, फोड़ आँखें जिस कारण, 

हों दृष्टिगोचर दयनीय यह निरीह बालक,

और मिले भिक्षा अधिक।

सहते अत्याचार सभी फिर भी,

पड़ता सोना आधे पेट उन्हें,

कहलाते भविष्य जो देश का।


न शिक्षा, न तन पर वस्त्र पूरे, 

न भोजन भरपेट, अस्वच्छ स्थान, 

कोसो दूर प्यार भरे शब्दों से,

होंगे स्वस्थ कैसे यह दयनीय बालक?

क्या होती है चिकित्सा?

कैसा होता है स्वच्छ पानी?

क्या होता है स्कूल?

अनभिज्ञ हैं ये उपरोक्त प्रश्नों

व उनके उत्तरों से।

तंत्रवत् सा जीवन चलता रहता,

फटे, मैले कपड़े मैल भरे शरीर पर,

हाथ पसारे खड़े सड़क पर,

कोई कर दया धर देता चन्द सिक्के हाथ पर,

तो कोई दुत्कार भगा देता,

बिन समझे त्रासदी इनकी।


घर कहते जिसे उतरता नहीं खरा 

वह घर की परिभाषा में,

रखा जाता जहाँ बच्चों को,

सुरक्षित नहीं लाज भी तो,

बालिकाओं/ बालकों की यहाँ।

कैसी है यह हैवानियत जो,

करती नहीं ध्यान अपरिपक्व बच्चों का भी?

सजाये मौत भी है कम इन हैवानों के लिये।

है अति आवश्यक उबारना इन परिस्थितियों से,

अबोध बालक/ बालिकाओं को।

है अधिकार इन्हें भी

पेट भर भोजन का, 

स्वच्छ पेय जल का,

तन ढकने को कपड़ों का,

शिक्षा का,

डाले न बुरी दृष्टि कोई,

जीने को एक सम्मान पूर्वक जीवन।


हो सकता है सुधार, लें मिला हाथ यदि,

सरकार समाज सेवियों एवं बुद्धिजीवियों के साथ,

और ले ठान देने का अवसर इन्हें सामान्य जीवन,

है नहीं सफ़र यह आसान परन्तु नहीं है असम्भव,

हो लगन व जुनून मन में देने का आधार 

आधारहीन बालक/ बालिकाओं को,

तो सम्भव है सब।।



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