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Shalini Mishra Tiwari

Drama

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Shalini Mishra Tiwari

Drama

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

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उफान मारता रहा समंदर दिल में कहीं,

कसमसाई कसक दिल में कहीं।

ज्वार उठता सा दिखा मगर सहेजा नहीं,

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।


हाल-ए-दिल कहने को बहुत बेचैन था मन,

जज़्बात सुनाने को तड़पा था मन।

भावों की कलम बना के दिल के पन्नों पर,

उड़ेल दिया सारे अफ़साने का क्षण।

तू समझा नहीं मुझे, मगर दिल को गुरेज नहीं

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।


कुछ सोचा फिर लिखा, फिर बैठी कुछ सोचने,

तेरी यादें उठी,फिर लगीं नोचने।

भर दिया कोरे कागज पर एहसासों की शमा,

फिर से तेरा वज़ूद मुझे लगा खींचने।

चाहने की तुझे की है ख़ता ये मगर बेजा नहीं

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।


लिख के भेज दूँ तुझे सारे अपने ग़म,

काश तुझे मुझपे थोड़ा एतबार हो।

मेरे अधूरे ख्वाबों की तस्वीर बन,

तुझपे थोड़ा सा मेरा अधिकार हो।

यूँ तू मुझसे दूर रहो मगर परे जा नहीं

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं।


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