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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy

एक मासूम परी

एक मासूम परी

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बेटियां बहुत ही प्यारी ,माता-पिता को प्यार करने वाली

,जिम्मेदार व समझदार होतीं ।बेटे से मात्र एक कुल (परिवार) चलता है बेटी 2 परिवार चलाती है

तभी जनक जी माता जानकी को कहते हैं----------

"पुत्रि पवित्र किये कुल दोऊ"

इनको पुष्पित पल्लवित होने के लिए सुरक्षित समाज देना हमारा सबसे परम कर्तव्य होना चाहिए। 




पापा की राज दुलारी परी प्यारी-प्यारी, 

सहमी सी आज थी बहुत ही डरी-डरी। 

पापा गये उस के ,सामान लेने बाजार 

बस कर रही बेसब्री से वे उनका इंतजार 


आते ही लगा दी उस ने ,प्रश्नों की झड़ी

हेडिंग एक दिखा रही थी पेपर की,खड़ी

बच्ची को कर किडनैप ,रेप के बाद मारा, 

बर्बरता की इंतहा ,नाले मे लाश बहाया। 


पापा मुझे भी बताएं ,होता क्या है ये रेप,?

आखिर करते क्यों ??छोटे बच्चे किडनैप

छोटी बच्ची ने उसका , क्या था बिगाडा,

नाले मे बहा ,उस को जान से मार डाला।


क्या वे होते नहीं किसी नन्हीं परी के पापा

जो गुस्सा मे खो देते है फिर अपना आपा।

पापा मन में सोच रहे थे , समझाऊं कैसे ?

बिन मां के मासूम बचपन को , तौले ऐसे।


बेटी उसको भी ईश्वर ने बनाया था इंसान, 

अपनी हवस के चलते बन गया वह हैवान।

शायद अबोध परी कुछ समझ न थी पाई, 

पापा से गुड़िया की सेफ्टी को भी वे बताई। 


पापा विचारशून्य से भावो में खो से रहे थे, 

कैसे बचाएं प्यारी परी को मन मे रो रहे थे।

                         स्वरचित डा० विजय लक्ष्मी


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