दौलत का साम्राज्य
दौलत का साम्राज्य
जिंदगी भर दौलत कमाने में लगे रहे
भांति भांति की योजनाएं बनाने में लगे रहे
रुपये पैसों का पहाड़ खड़ा कर लिया
धन दौलत का साम्राज्य बड़ा कर लिया
घर परिवार पर कभी ध्यान नहीं दिया
सुख क्या होता है इस पर ज्ञान नहीं किया
पैसे का अहंकार सिर चढकर बोलने लगा
लोगों को पैसों की तराजू में तौलने लगा
बुरी संगत से औलादें बिगड़ने लगी
बात बात पर उसी से अकड़ने लगी
बुढापे में कोई साथ देने वाला नहीं था
दौलत का साम्राज्य साथ जाने वाला नहीं था
दो गज कफन भी श्मशान तक साथ है
उसके बाद कुछ नहीं, सिर्फ खाली हाथ हैं
दौलत के बजाय गर प्यार का खजाना होता
तो आज उसके लिए भी ये सारा जमाना रोता।
