पुराना प्यार...
पुराना प्यार...
ये स्कूल वाला प्यार कितना अनोखा था न
मानो ठंडे हवा का झोंका था न
मोहब्बत तो हुई नहीं पर दोस्ती हो गई उमर भर की
ये दोस्ती साथ चलेगी हमेशा ये सोचना कितना बड़ा धोखा था न
सालों बाद दिन नया था मुलाकात थी पहली
जज़्बात पुराने मगर हमारे दरमिया अरसों में हुई ये बात थी पहली
की देखा नहीं था कभी तुम्हें इतने करीब से
जो सोचा तुम्हारे बारे में सालों में वो रात थी पहली
हाँ माना गुम सूम सा रहता था
देख तुम्हें सामने चुप चुप सा रहता था
तुम्हें जो ना देखूँ तो बेचैन हो जाता था
पर ये सब करने वाला लड़का उस दौर में रहता था
सच मालूम हुआ था मुझे
तुम्हें मुझसे प्यार नहीं था
लोग कहते थे की देखना कुछ दिनों की बात है
तुम्हारे लिए न सही पर दूसरे को उसका इजहार करना सही था
बचपन की यादें है यार कैसे भूल जाऊँ इन्हें
तुम्हें किसी और के साथ देख कैसे खुश रह पाऊं मैं
अगर उस वक्त नहीं करनी थी मोहब्बत तो ना लगाती न अपनी आदत
तुम्हारे छोड़ जाने के बाद कैसे जिया हूं मैं ये कैसे दिखाऊं तुम्हें
छोटी सी उमर से तुम्हें चाहा था हमेशा अपने पास पाया था
दोस्ती हो दुश्मनी हर रिश्ता तुमसे निभाया था
उम्मीद नहीं थी तुम यूं बदल जाओगी
और तुम्हें जब मेरी आंखों में मोहब्बत दिखती नहीं तो क्यों पूछती हो मुझसे क्या छिपाया था
छोड़ो वो बाते बचपन की है
तुम रूठना मत ये बाते सालो से दबी मेरे मन की है
क्या बताए की क्या क्या किया तुमसे दूर रहकर
अब तुम इन बातों को मत पूछो न ये बाते गुजरे जमाने के गम की है
चलो अब बता भी दो क्या हुआ है क्यों आई हो
आंखों से इतने आंसू क्यों बहा रही हो
तुम्हारा सनम नहीं दिख रहा
वो तो तुमसे कभी दूर नहीं रहता फिर क्यों उसे दूर कर तड़पा रही हो
उसे अपना इश्क जताने में कोई बात रह गई क्या
या मुझे तड़पाने में कोई रात रह गई क्या
बहुत परेशान लग रही कोई तकलीफ पास आ गई क्या
मानो तुम्हारे सनम को कोई नई महबूब रास आ गई क्या
खैर छोड़ो मेरे पास आने का कोई फायदा नहीं
प्यार मोहब्बत अब मेरा रास्ता नहीं
तुम चली जाओ मुझे खुश रहने दो यार
तुम्हारी खुशियां हो या गम मेरा किसी से कोई वास्ता नहीं
और जाते जाते मेरा ये पुराना ख्याल सुनती जाओ
अपने मन के दीवार में इसे बात को चुनती जाओ
मोहब्बत थी तुम मेरी पहली
बाकी सब तो बाद में आए
अब जो तुम यूं छोड़ कर चली जा चुकी हो
तो यही इल्तज़ा रहेगी खुद से की तुम्हारी कभी याद न आए।

