चलते रहना
चलते रहना
चलते रहना, वो धारा बन,
जो चट्टानों से टकराए।
राह कठिन हो, राह सजीव हो,
हर मंज़र को अपनाए।
चलते रहना, वो दीप बन,
जो आँधियों में जलता है।
अंधियारे को हराकर फिर,
हर कोने में खिलता है।
चलते रहना, वो स्वर बन,
जो मौन को चीर कर आए।
सपनों की हर चुप कहानी,
दुनिया को सुनाए।
चलते रहना, वो पथिक बन,
जो मंज़िल से बंधा नहीं।
हर क़दम पे जीवन रचे,
कभी रुके, कभी थमा नहीं।
चलते रहना, वो आस बन,
जो दिलों में नई रौशनी लाए।
हर ठोकर को सीढ़ी समझ,
आगे बढ़ता ही जाए।
चलते रहना, यही तो जीवन,
यही है सच्चा गीत।
रुकना नहीं, झुकना नहीं,
बस चलते रहना है प्रीत।
