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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

छोटा हूँ

छोटा हूँ

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मैं बड़ा लेखक नहीं कोई,

साहित्य का छोटा साधक हूँ,

सच्चाई को हूँ पिरोता,

मन की भाषा का धारक हूँ।


मैं बड़ा कवि नहीं बना कभी,

पर भावों का मेरे मीत हूँ,

छोटा हूँ लेखकीय कद में ,

सोच में विशाल संगीत हूँ।


मैं बड़ा इंसान नहीं,

एक छोटा सा आदमी हूँ।

जो सपनों को बुनता है,

और सपनों की ही सादगी हूँ।


और, इंसान बड़ा होता भी नहीं,

कर्म और सोच ही पहचान हैं।

मिट्टी से जुड़ा, स्वभाव से सरल,

हो जो वही तो इंसान है।


मैं बड़ा तुमसे कभी भी नहीं,

पर छोटा होकर भी संतुष्ट हूँ।

लिखनी आती है सिर्फ मानवता,

अपनी छोटी दुनिया में संतुष्ट हूँ।


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