दिल एक मन्दिर
दिल एक मन्दिर


जब इंसान अपना दिल साफ रखता है,
जब दिल की मलिनता को दूर करता है,
जब अच्छे सदृगुण जीवन में अपनाता है,
तब दिल एक मन्दिर बन जाता है,
जब नफ़रत को दिल में से दूर करता है,
जब दिल में प्रेम की ज्योत जलाता है,
जब इंसानियत को जीवन मे अपनाता है,
तब दिल एक मन्दिर बन जाता है।
जब मोय-माया का हमेशा त्याग करता है,
जब मानव सेवा को परम धर्म समझता है,
जब अच्छे कर्मो की वसियत लिखता है,
तब दिल एक मन्दिर बन जाता है।
जब भगवत् गीता का संदेश अपनाता है,
जब सत्संग देश में हमेशा बसेरा करता है,
जब आत्मा की आवाज़ सुनता है "मुरली"
तब दिल एक मन्दिर बन जाता है।