वैकुंठ
वैकुंठ


जो तन मन को पवित्र रखता हैं,
जो अधर्म के सामने लड़ता हैं,
जो धर्म का जयकारा करता हैं,
उसका बैकुंठ में बसेरा होता हैं।
जो वैभव विलास से दूर रहता हैं,
जो मोहमाया का त्याग करता हैं,
जो सत्य की राह पर चलता हैं,
उसका वैकुंठ में बसेरा होता हैं।
जो छल कपट से दूर रहता हैं,
जो गरीबों का सहारा बनता हैं,
जो मानवता की धारा बहाता हैं,
उसका वैकुंठ में बसेरा होता हैं।
जो प्रभु नाम का सुमिरन करता हैं,
जो भक्तिरस में हर पल डुबता हैं,
जो "मुरली" धर के शरणों में रहता हैं,
उसका वैकुंठ में बसेरा होता हैं।