बात छोटी हो गर,दिल बड़ा कीजिए........
बात छोटी हो गर,दिल बड़ा कीजिए........
ग़ज़ल
बात छोटी हो गर दिल बड़ा कीजिए।।
इस तरह जिंदगी को जिया कीजिए।।
ठीक लगती नहीं इतनी दरियादिली,
चोट दिल पर लगे तो कहा कीजिए।।
नाम इसको इनायत का देते नहीं,
कीजिए कुछ भला फिर रटा कीजिए।
ख्वाब देखे हुए बीत सदियां गईं,
खो गए सब कहां कुछ पता कीजिए।
कीजिए रंजिशों का सफर ख़त्म अब,
दुश्मनों के लिए भी दुआ कीजिए।।
जाने कब धड़कने आके कहने लगे
अपने दिल से मुझे अब रिहा कीजिए।
