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Arti jha

Action

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Arti jha

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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हरेक बात सबको बताना ग़लत है।
जखम लाख हो पर दिखाना ग़लत है।

जरूरत से ज्यादा कहीं मुस्कुराना,
कहीं बेवजह रूठ जाना गलत है।।

सही को ग़लत बोलने की हिदायत।
इशारों पे सबको नचाना ग़लत है।।

 मेरी बात सुनकर सभी हॅंस रहे थे।
हूॅं मैं ही ग़लत या जमाना ग़लत है।।

 न बेबाकियां कीजिए हर किसी से।
 सभी को यूं आँखें दिखाना ग़लत है।

बुलाकर किसी को मुहल्ले में अपने।
उसे फिर नजर से गिराना ग़लत है।।

अगर चाहता है कोई दूर जाना।
 पलटकर उसे तब बुलाना ग़लत है।।

बहुत कुछ ख़ुदा की इनायत समझिए।
मुकद्दर पे हर बात लाना ग़लत है।।

तजुर्बा यही जिंदगी से मिला है।
ग़लत को ग़लत बोल जाना ग़लत है।।

 आरती


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