कद्र होगी तेरी नाराज़ ना हो
कद्र होगी तेरी नाराज़ ना हो
सबकी जुबां पर तेरे लिए भी तारीफों के फूल की लड़ी होगी,
पर अफ़सोस उस वक्त तेरी राख में मिलने की घड़ी होगी,
आडंबर के आँसूओं में तेरी अनमनी झलकती छवि होंगी।
फूलहार से सजी तेरी छवि होगी
ना रोकने की कोशिश होगी,
शाम होने से पहले तुझे जलाने की तजविज होगी,
खेल रचेगा रूदाली सा मरघट तक तुम्हारे नाम की तान बजती होगी।
रूदन में उपर वाले से रोष पर दिल में तुझे फूटाने की जल्दी होगी
जीते जी पानी की बूँद को तरसाया
पर निश्चेतन तुझे गंगाजल से नहलाने की सबकी ख़्वाहिश होगी।
पोषा तुमने पग पग जिसे पसीने की नमी से वही तुझे तोलेंगे
बैंक बेलेंस की तपिश में, भरी होगी जो तिजोरी तो
जयजयकार भी उतनी बड़ी होगी,
होगा जो ठनठन गोपाल तो अर्थी भी तेरी आम सी होगी।