किसान
किसान
उपजाऊ खेतों में बिल्डर, बाँझ सड़कों पर किसान है,
ज़रा पलट, प्रजातंत्र की सरकार, कहाँ तेरा ध्यान है!
बंद कर घरवालों पर दरवाज़े, बोलें अनचाहे मेहमान है,
शीत में स्वागत वाटर केनन से, बिछाते खड्डे -पाषाण है!
वीरान वो गाँव के कच्चे घर, ट्रक बना अस्थाई मकान है,
सड़क किनारे कृषक बेटियाँ नहाए, मजबूरी का प्रमाण है!
ईंट का साझा चूल्हा, दृढ़ता जलावन, हिम्मत पकवान है,
रोटी सेंकते मौक़ापरस्त, बस अन्नदाता देश के भुखान है!
क़र्ज़ में डूब उगाए, सही मोल न पाए, अब और परेशान है,
कहने को सारी मंडियाँ इनकी, पर ज़रिया? मुद्दा प्रधान है!
कारोबारियों का बढ़ेगा मुनाफ़ा, किसानों का नुक़सान है,
बिचौलियों से कम से कम पहचान थी, ये तो अंजान हैं!
बिनती है मिलकर भ्रम मिटाएँ, जो सत्ताधारी विद्वान है,
ख़ुदकुशी पर मजबूर तो पहले से, अब और प्रावधान है!