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poonam jha

Tragedy

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poonam jha

Tragedy

माँ सुनाती क्यों नहीं अब लोरियाँ ?

माँ सुनाती क्यों नहीं अब लोरियाँ ?

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अपहरण के क़िस्से, गुंडों की बदमाशियाँ, 

ग़लत नियत की, अपने-पराए में तलाशियाँ,

रोज सुन-सुन कर, थक गई हूँ मैं उदासियाँ,

बचाव के सभी गुर, माँ! कंठस्थ कर लिया!


जिसमें तारों की थाली, चाँद की कटोरियाँ,

माँ! सुनाती क्यों नहीं, अब वो मीठी लोरियाँ ?

जिसमें नाज़ुक पंखों वाली, उड़ती हैं परियाँ,

माँ! सुनाती क्यों नहीं, अब वो मीठी लोरियाँ ?


जब दिन दहाड़े हो रही, बचपन की चोरियाँ 

माँ कैसे सुनाए तुमको, मीठी मीठी लोरियाँ?

क्या गुड्डा, क्या गुड़िया, घात लगाए भेड़िया, 

माँ कैसे सुनाए तुमको, मीठी मीठी लोरियाँ!


लाख ग़लत वो, इल्जाम तुम्हें जाएगा दिया

कपड़े, चरित्र, आचरण पर उठेंगी उँगलियाँ 

दूध मुँहे हो या वृद्ध महिला, यही है दुनिया! 

खुद का बचाव खुद ही करना है, मेरी गुड़िया !



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