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KUMAR POETRY

Tragedy

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KUMAR POETRY

Tragedy

छोटी बेटी

छोटी बेटी

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बात ये तब की है मईया

जब गर्भ मे तेरे रहती थी

लोगो की बाते सुन सुन कर

कितना दुख मै सहती थी ।।

इसबार तो पुत्र ही होगा

सबसे तुम ये कहती थी

पाप की बातों में भी मईया

पुत्र की चाहत रहती थी ।।

दादी की आशीषों में भी

पोते का मोह दिखता था

पोते का मुख दिखला दो

ये निसदिन तुमसे कहती थी।।

तुम मंदिर में जाकर मईया

पुत्र की मनन्त करती थी

क्या होगा जब जनमुंगी मैं

सोच के भी घबराती थी।।

तंत्र मंत्र और पाखंडो में

जब तुम उलझी जाती थी

मत जाओ तुम ठगी मोरी मईया

गर्भ से चीखे जाती थी।।

शिक्षा और खेलों में मइया

जब मैं अव्वल आती थी

मेरी बेटी है ये देखो

गर्व से सबसे कहती थी।।

छोटी बेटी का भी दिल से

स्वागत ओर सम्मान करो

हाथ जोड़ हर मात पिता से

विनती ये मैं करती हूं।।

          


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