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SHAHEED RAJA

Tragedy Others

4.5  

SHAHEED RAJA

Tragedy Others

अस्पताल

अस्पताल

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किसी की सांस टूटी

तो किसी की आस जगी

किसी की लाश देखी

तो किसी को बेहाल देखा

पहली बार जब मैंने अस्पताल देखा


कौन करेगा मेरी हिफाज़त ?

कैसे कटेगी मेरी ज़िंदगी ?

एक माँ के चेहरे पे मैंने ये सवाल देखा

पहली बार जब मैंने अस्पताल देखा


अंदर जाने पर ज़िन्दगी बेसब्र लगने लगी थी

थक कर बुढ़ापे से लेटा था एक बाप 

जिसे अस्पताल की बिस्तर कब्र लगने लगी थी


सवाल पूछने को मुझसे

उन्होंने बैठा लिया अपने पास में

मतलब के लिए आते थे लोग मुझसे मिलने

बताओ , तुम आये हो किस आस में ?


बदलते चेहरे और वक़्त को

आँखों के सामने मैं देख रहा था

दिल भावुक हो रहा था

पर आंसुओं को मैं रोक रहा था।


एक सच को अनदेखा कर के

मैं थोड़ा आगे बढ़ गया

जहां एक ओर बच्चे का जन्म हुआ

दूसरी ओर गरीब पैसे की तंगी से मर गया


मुझे वो लोग याद आए 

जो इस सच से काफी अनजान हैं

ज़िन्दगी के कशमकश में मौत को भूले

बाहर के लोग कितने नादान हैं ?


एक सच जो मैंने देखा

वो आपको दिखाया है

कुछ झूठा नहीं इसमें

सब उस अस्पताल ने लिखाया है।


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