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Prema Halsi

Others

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सूरज

सूरज

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उगता सूरज पथ दिखलाता,

संग-संग अपने हमें जगाता।

जग के वह दर्शन करवाता ,

दुनिया का हर रंग-रूप दिखाता।।

 

शोभा इसकी अजब निराली,

दूर तलक किरणें है फैली।

कभी लाल तो ,कभी सिंदूरी,

कभी श्वेत तो, कभी सुनहरी।।


खुद जग कर देता संदेश ,

आलस छोड़ो यह आदेश ।

सांझ ढले तो अरुण रंग हो ,

मानो थककर चला हो सोने।।


सुबह सवेरे फिर से चमके ,

सदियों से नित-नूतन होकर ।

कोई योगी बैठा चिर मौन,

कठिन साधना में हो लीन।।


तेज है उसका प्रतिफल बढ़ता ,

मानो तप से ही वो निखरता ।

जागो समय से सूरज जैसा,

तभी तो बन पाओगे वैसा।।


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