STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Crime

4  

VIVEK ROUSHAN

Crime

अपराधी और अपराध

अपराधी और अपराध

1 min
490


एक अपराधी जघन्य अपराध करता है 

अपराध कर भाग निकलता है 

अंततः पकड़ा जाता है 

खबरें आग की तरह 

फैलने लगती है 

एक ब्राह्मण पकड़ा गया 

अहीरों ने पकड़ा है 

राजपूतों ने पकड़वाया है 

चारों ओर बातें होने लगती है 

ब्राह्मण समाज नाराज़ है 

अहीरों में ख़ुशी की लहर है 

राजपूतों का अहंकार बढ़ गया है 

यहाँ हमसे ऊपर बैठे तमाम लोग 

हमारे दिल ओर दिमाग के साथ 

खेल जाते हैं 

यहीं वो लोग हमें अपने 

बस में कर लेते हैं 

यहाँ हम उनकी बातों में आकर 

एक

अपराधी में अपनी जात 

अपना धर्म ढूंढ़ने लगते हैं 

यहाँ हम एक अपराधी के साथ 

सहानुभूति दिखाने लगते हैं 

यहीं हम जात-धर्म में बँट कर 

एक-दूसरे से लड़ने-झगड़ने लगते हैं

यहीं राजनीतिज्ञ लोग 

हमारे बीच फूट डाल कर 

अपनी राजनीति करते हैं 

यहाँ हम जनता को पूर्णविराम 

लगाने की जरुरत है 

यहाँ हमें समझने की जरूरत है 

की कैसे सरकार और मुख्य मीडिया 

द्वारा एक अपराधी का जातिकरण 

किया जाता है और 

अपराधी के द्वारा किये गए अपराध 

का राजनीतिकरण किया जाता है |



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime