अपराधी और अपराध
अपराधी और अपराध


एक अपराधी जघन्य अपराध करता है
अपराध कर भाग निकलता है
अंततः पकड़ा जाता है
खबरें आग की तरह
फैलने लगती है
एक ब्राह्मण पकड़ा गया
अहीरों ने पकड़ा है
राजपूतों ने पकड़वाया है
चारों ओर बातें होने लगती है
ब्राह्मण समाज नाराज़ है
अहीरों में ख़ुशी की लहर है
राजपूतों का अहंकार बढ़ गया है
यहाँ हमसे ऊपर बैठे तमाम लोग
हमारे दिल ओर दिमाग के साथ
खेल जाते हैं
यहीं वो लोग हमें अपने
बस में कर लेते हैं
यहाँ हम उनकी बातों में आकर
एक
अपराधी में अपनी जात
अपना धर्म ढूंढ़ने लगते हैं
यहाँ हम एक अपराधी के साथ
सहानुभूति दिखाने लगते हैं
यहीं हम जात-धर्म में बँट कर
एक-दूसरे से लड़ने-झगड़ने लगते हैं
यहीं राजनीतिज्ञ लोग
हमारे बीच फूट डाल कर
अपनी राजनीति करते हैं
यहाँ हम जनता को पूर्णविराम
लगाने की जरुरत है
यहाँ हमें समझने की जरूरत है
की कैसे सरकार और मुख्य मीडिया
द्वारा एक अपराधी का जातिकरण
किया जाता है और
अपराधी के द्वारा किये गए अपराध
का राजनीतिकरण किया जाता है |