राजनीति - एक अभिशाप
राजनीति - एक अभिशाप
एक विनती उनके सामने कुछ नेता है जो देश में
भ्रष्टता से है भरे जो देवता के भेष में
धर्म की ये राजनीति सबसे बड़ा पाप है
प्रगति की राह में एक भयावह अभिशाप है
नफरतों का बीज बोकर लोगो को लड़वाओ ना
अपने -अपने लोभ में यूं दंगो को भड़काओ ना
चंद वोटोंं के लिए ऐसे ना करना चाहिए
पाप रूपी घडेे को कभी ना भरना चाहिए
जो खेल ये सियासती सब दिल ही दिल में जानते
कुछ एक गद्दारों की सुनकर दुश्मनी है ठानते
ये दुष्ट सिर्फ इंसानियत को करते शर्मसार है
और नफरतों की भावना का करते फिर प्रचार है
करने को तो है बहुत कुछ कर तू वो जो करना है
जीना नहीं तो चुन सहादत ऐसे भी कोई मरना है
मज़हब नहीं मजाक की जो चाहे कर खिलवाड़ दे
हिंदूू-मुस्लिम करके टुकड़ों में हमेंं कोई फाड़ दे
यहां ख्वाजा साहब की है दरगाह रामचंद्र भगवान है
मानवता को रख केेे दिल में सर्व धर्म सम्मान है
डॉ कलाम है प्रेरणा और भगतसिंह अभिमान है
ऋषियों की यह तपोभूमि नाम हिंदुस्तान है।