ख़ात्मा
ख़ात्मा
मैं खुद को खत्म कर रहा हूं होले से
यादो को रुखसत कर रहा हूं झोले से
वो बात शुरुआत की करते है।
बडा नासमझ लगता है वो शख्स मुझे
उसे कैसे बताएं कि कहानी यही तक थी
वो है कि बात जज़्बात की करते है।।
अब कुछ बाकी नही है मुझमे
शुष्क ज़मीन है बंजर सी।
कर दे ना आज़ाद मुझे
क्यो अटकी दिल मे खंजर सी।।
बेचैन हूं मैं कुछ बूंदो को
वो बात बरसात की करते है।
दिन काटना भी जब दुभर है
बात वो रात की करते है।।
जाऊ कहाँ और कहाँ पहुँचूँ
जब कोई राह ही नही है।
करूं भी तो कुछ कैसे करूं
जब कोई चाह ही नही है।।
मन ऊब गया है सबसे
वो बात हालात की करते है।
दे के दिलाशा मेरे दिल को
बात बर्दाश्त की करते है।।
मैं ख़ुद को खत्म कर रहा हूं होले होले
वो बात शुरुआत की करते है.......
