बेबस
बेबस
बस दम ही तो घुट रहा है
चाह तो रहा हूं
पर कुछ हो नहीं रहा
अंदर तो है सब भीगा
सामने रो नहीं रहा
जो नहीं रहा है
वो ही क्यों हूँ चाहता
समझाने को मुझको
अब कोई क्यों नहीं आता
अब क्यों ये बेड़ियाँ
जकड़े है मुझको
क़दम तलक नहीं उठ रहा है
कुछ भी तो नहीं हो रहा है
बस दम ही तो घुट रहा है
मेरा दम ही तो घुट रहा है।
