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Dr. Ritu Chauhan

Tragedy Crime Inspirational

4.8  

Dr. Ritu Chauhan

Tragedy Crime Inspirational

मेरे जीते जी

मेरे जीते जी

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आखिर तक पुकारता रहा मैं तुम्हें  इस वीराने में

कितना कुछ कहना था मुझे तुम्हें- मेरे जीते जी 

इस कदर तोडा है लोगों ने मेरे हौसले को

काश ! तुम संभाल लेते मुझको- मेरे जीते जी 


अधूरे रह गए हैं मेरे अरमान सभी

बहुत से काम निबटाने थे मुझे- मेरे जीते जी 

रफाकत की उम्मीद तो नहीं थी सबसे मुझे  

मेरी रयाज़त का समर मिल जाता बस मुझे- मेरे जीते जी


तुम्हारी बेरूखियाँ तुम्हारे कसे हुए फिकरे मेरे गम का मुदावा न हुए

तुम्हारे तगाफुल को नज़रअंदाज़ कर दिया होता मैंने- मेरे जीते जी 

सुनने का हुनर था मुझमें तुम भी कुछ अपनी सुना लेते

इस तन्हाई के आलम में साथ मेरा तुम दे देते- मेरे जीते जी 


अब रोकर न दिखाओ तुम मुझे मेरे जाने के बाद

मेरे दुःख और आंसू तुम देख न पाए- मेरे जीते जी 

जन्नत से दुनियाँ बहुत खूबसूरत दिखती है मुझे

पर ज़मी की खूबसूरती मैं जी न पाया- मेरे जीते जी 


काबिल होनहार सब कह रहें हैं मुझे अब

थोड़ी तारीफ़ कर दी होती मेरी- मेरे जीते जी 

मत करो किसी तो इतना मज़बूर के वो जां दे दे

यही समझाना चाहता था मैं तुम्हें- मेरे जीते जीI


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