मेरे जीते जी
मेरे जीते जी
आखिर तक पुकारता रहा मैं तुम्हें इस वीराने में
कितना कुछ कहना था मुझे तुम्हें- मेरे जीते जी
इस कदर तोडा है लोगों ने मेरे हौसले को
काश ! तुम संभाल लेते मुझको- मेरे जीते जी
अधूरे रह गए हैं मेरे अरमान सभी
बहुत से काम निबटाने थे मुझे- मेरे जीते जी
रफाकत की उम्मीद तो नहीं थी सबसे मुझे
मेरी रयाज़त का समर मिल जाता बस मुझे- मेरे जीते जी
तुम्हारी बेरूखियाँ तुम्हारे कसे हुए फिकरे मेरे गम का मुदावा न हुए
तुम्हारे तगाफुल को नज़रअंदाज़ कर दिया होता मैंने- मेरे जीते जी
सुनने का हुनर था मुझमें तुम भी कुछ अपनी सुना लेते
इस तन्हाई के आलम में साथ मेरा तुम दे देते- मेरे जीते जी
अब रोकर न दिखाओ तुम मुझे मेरे जाने के बाद
मेरे दुःख और आंसू तुम देख न पाए- मेरे जीते जी
जन्नत से दुनियाँ बहुत खूबसूरत दिखती है मुझे
पर ज़मी की खूबसूरती मैं जी न पाया- मेरे जीते जी
काबिल होनहार सब कह रहें हैं मुझे अब
थोड़ी तारीफ़ कर दी होती मेरी- मेरे जीते जी
मत करो किसी तो इतना मज़बूर के वो जां दे दे
यही समझाना चाहता था मैं तुम्हें- मेरे जीते जीI