ज़ेहनो दिल नहीं मानता
ज़ेहनो दिल नहीं मानता
तेरे तस्सवुर से ही इतना सुकूँ मिलता है
के होश कही आये ज़ेहनो दिल नहीं मानता
मुनव्वर तो हो ही जाता है क़तरा क़तरा
के अँधेरा कहीं जाये ज़ेहनो दिल नहीं मानता
बारहा तुझको ही याद करता है दिल मेरा
के याद कोई और आये ज़ेहनो दिल नहीं मानता
तुझसे बिछड़ने का अज़ाब हम सेह नहीं सकते
के तुझे कोई और पाए ज़ेहनो दिल नहीं मानता
खुद पर कम तुझ पर यकीं ज़्यादा है शायद
के तुझे कोई और भाए ज़ेहनो दिल नहीं मानता
तेरे साथ मरासिम इतना पुख़्ता है सनम
के मौत भी बीच में आये ज़ेहनो दिल नहीं मानता
समझ मेरी तुझ तक ही सिमट कर रह गई है
के हमें कोई और समझाए ज़ेहनो दिल नहीं मानता

