और हो जाते हैं तमाम मर्द 'नामर्द' में तब्दील, अफ़सोस कि यह सत्य है। और हो जाते हैं तमाम मर्द 'नामर्द' में तब्दील, अफ़सोस कि यह सत्य है।
वहशत के पुजारी ने एक मासूम कुसुम को कुचल दिया मसलकर हम नामर्दों के समाज में महिला हो रही है कुंठ... वहशत के पुजारी ने एक मासूम कुसुम को कुचल दिया मसलकर हम नामर्दों के समाज में ...
ना जाने कैसी फिर उस औलाद की गंदी सोच हो जाती है, दूध पीती बच्ची तक को जो मानसिकता नोच नोच खा जाती ... ना जाने कैसी फिर उस औलाद की गंदी सोच हो जाती है, दूध पीती बच्ची तक को जो मानसि...
मर गया क्या ज़मीर ये तेरा जो तू नामर्द बनकर बैठा हैं भाई किसी का हैं तू भी अब जल्लाद बनकर बैठा... मर गया क्या ज़मीर ये तेरा जो तू नामर्द बनकर बैठा हैं भाई किसी का हैं तू भी ...