घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है
न मेरी है लम्बाई न ही चौड़ाई पर संकेत में मेरे खूब है गहराई न मेरी है लम्बाई न ही चौड़ाई पर संकेत में मेरे खूब है गहराई
कभी अहंकार का दंश चुभे, तो सागर का एक छोर नाप लेना। कभी अहंकार का दंश चुभे, तो सागर का एक छोर नाप लेना।