शब्द महज आज भी बस शब्द ही हैं और तुम आज तलक बस ख़्वाब... शब्द महज आज भी बस शब्द ही हैं और तुम आज तलक बस ख़्वाब...
हमारे मन में क्यों समाता यह जीवन है, यहाँ कुछ मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे और फिर कुछ मिलेंगे ............ हमारे मन में क्यों समाता यह जीवन है, यहाँ कुछ मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे और फिर क...
मैं बिंदु हूँ एक जगह ठहरा हूँ पर वास्तव में बहुत गहरा हूँ मैं बिंदु हूँ एक जगह ठहरा हूँ पर वास्तव में बहुत गहरा हूँ
पर साथ हो, इतना काफी है मन को सुकून देने के लिए। पर साथ हो, इतना काफी है मन को सुकून देने के लिए।
न मेरी है लम्बाई न ही चौड़ाई पर संकेत में मेरे खूब है गहराई न मेरी है लम्बाई न ही चौड़ाई पर संकेत में मेरे खूब है गहराई
मुख न मोड़ें कभी निज दायित्वों से, खुश होकर करें सदा इनका निर्वाह। मुख न मोड़ें कभी निज दायित्वों से, खुश होकर करें सदा इनका निर्वाह।