अनजान रास्ते
अनजान रास्ते
किस्सा-१
देखो कैसे
बिछड़े, भटके
वह अनजाने, रास्ते
कैसे मिल जाते हैं।
कौन जाने कहाँ शुरू
जाने कैसा सफर किया
मगर एक दूजे को पाते ही
देखो कैसे
चीनी और पानी के जैसे
घुल मिलकर एक साथ हो जाते
वह अनजान रास्ते।
किस्सा-२
उस बिंदु तक
एक साथ ही आए
मानो जैसे एक ही जीवन
एक ही आत्मा
साथ खेलना
खाना साथ
सोना और जागना भी साथ।
फिर उस बिंदु पर आकर
जड़ और तने हो जैसे
बिछुड़ गए
जैसे कभी मिले ही ना हो
वह अनजान रास्ते।
किस्सा-३
उस एक बिंदु पर,
आकर कुछ मिलते
आकर कुछ बिछड़ते
फिर मिलने का सुख
बिछड़ने का दुख।
हमारे मन में क्यों समाता
यह जीवन है,
यहाँ कुछ मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे
और फिर कुछ मिलेंगे
यही जीवन को
उल्लास बनाते
हमारे जीवन के
अनजान रास्ते।।