आत्महत्या ! एक जीवन ?
आत्महत्या ! एक जीवन ?


जब एक व्यक्ति जीवन से हार जाता है खुद को असहाय पाता है
हर अपना बेगाना होता है पल पल मर जाना होता है
चीजे हांथ से छूटती जाती है हर कोई मुंह मोड़ जाता है
जीने का ख्वाब छलावा लगता जीने से अच्छा मर जाना लगता है!
फिर एक बंद कमरे में खुद से एक जंग होती है
सही गलत के मध्य एक जंग होती है
जब हर तरफ अंधेरा छाता है
जब कुछ भी समझ ना आता है
मन का धैर्य डगमगाता है!
अन्तर्मन तब ये चिल्लाता है
ख़तम करो ये जीवन अपना
ये सब तो है एक झूठा सपना
भीतर से जब टूट वो जाता है
खुद से ही कायर बन जाता है!
फिर एक गलत कदम उठाता है
खुद से ही खुद को मार गिरता है
आत्महत्या कर के वो खुद से
खुद का ही कातिल कहलाता है!
पर क्या सही बात है करना
खुद से खुद की हत्या करना
ऐसा कोई विघ्न नहीं
ऐसी कोई विपत नहीं
जिसका अंत कभी ना हो !
जो अंत अगर करना हो तुमको
करो अंत तुम कठिनाई का
करो अंत तू कायरता का
बनो एक मिसाल तुम ऐसे
चीर पहाड़ नदी बहती जैसे
जिसने दिया जीवन तुमको
जी के तुम दिखलाओ वैसे
मरना है तो मरो देश पे तुम शहीद कहलाओगे
तुम आत्महत्या कर के बोलो भला क्या पाओगे?