जन्मदिन मुबारक गीता माँ
जन्मदिन मुबारक गीता माँ
गीता माँ की कहानी सुनो
आज मेरी जुबानी सुनो
आयो चले 5160 साल पीछे
दिसम्बर का महीना, कुरुक्षेत्र थी रणभूमि
परिवार के लोग बँटकर पढ़ गए एक दूसरे के पीछे
शुरू हुआ महायुद्ध है
एक तरफ कौरव है, दूसरी ओर पाडंव
दुर्योधन की करनी ने, मचाया था मानवता में तांडव
घबराया हुआ अर्जुन, सहम गया था उसका मन
श्री कृष्णा ने पढ़ ली मन की बात थी
घबराना सुनिश्चित था, एक खास रिश्ता जो था
वो पल था आया, जिसके लिए अवतरित हुए कृष्ण थे
गीता ज्ञान आरंभ हुआ, मार्गदर्शन था किया
युद्ध को धर्म युद्ध बताकर, अर्जुन को तैयार किया
गीता ज्ञान आरंभ करते हैं
बाँटते है जो इससे है अनजान
क्या! खूबसूरत सृजन है, कहता जो पढ़ लेता एक बार
18 अध्याय, 700 श्लोक है
वेद व्यास द्वारा रचित ये
एक महान ग्रंथ है
चतुर्भुज रूप धरा कृष्ण ने
हैरान हुए थे धनुर्धर
पाया अपने आप को सौभाग्यशाली है
प्रथम अध्याय समझाता सबको
गलत सोच जीवन की परेशानी है
इसको खत्म करने में सबकी भलाई है
ज्ञान का सही सदुपयोग करे
सारी मुसीबतें छूमंतर होगी
दूसरा अध्याय जीवन को सुलझाता है
तुम निस्वार्थ सबकी सेवा करो
यही प्रगति को जाता रास्ता
कर्म ही सर्वोच्च प्रार्थना है, तीसरा और चतुर्थ अध्याय पूर्ण है
खत्म कर दो अपना घमंड, पंचम अध्याय यही सिखाता
भगवान की तुम भक्ति करो, जुड़े रहो अपने आप से
छः और सातवे अध्याय की यही है सीख
अष्टम अध्याय देता आत्मविश्वास
नवम सिखाता हर चीज महत्तवपूर्ण है
सब में है भगवान बस्ते, दशम का यही है ज्ञान
सच्चाई को तुम स्वीकारो
ग्यारहवा अध्याय बताता ये
जब जाते बारहवें की ओर, कहता मुझ में बुद्धी लगा
माया में फंसना नहीं
अध्याय तेरहवां सतर्क कर्ता
जो तुम्हारी दृष्टिकोण हो, वैसा ही जीवन हो
14 अध्याय बहुत कुछ कह जाता
भक्ति सबसे पहले जरूरी
पंद्रहवां अध्याय मार्ग प्रदर्शित करता
आते है सोलवे अध्याय पे
अच्छाई सम्पूर्ण है अपने आप में
सही चुनो एवं सही करो, यही छुपा है 17 अध्याय में
सब छोड़ो भगवान से जुड़ो
यही है अठारहवे अध्याय का अर्थ
गीता पढो और पढायो
गीता के ज्ञान से कोई युद्ध नहीं होगा
लोगों के जीवन में सुधार होगा
आज मान लो मेरी बात, आज मान लो मेरी बात।

