अदृश्य गठबंधन
अदृश्य गठबंधन
रिश्ता ये बेमोल हैं,
नाजुक इसकी डोर है।
संभालना प्रिय इसे हमेशा तुम,
चाहे हो जाए साथी गुमसुम।
फूंक बहुत असर डालती,
जरा सी लापरवाही बदलाव मांगती।
अश्रु आते नैनों में,
बन जाते नदी पनपते शहरों में।
कहीं ज्वाला सी जोत निकलती,
कहीं हिल डुल कर पुकार लगाती।
धीरे -धीरे मजबूत हड्डियां होती कमजोर,
ऐसा लगता हैं जैसे साथी बन गया चोर।
प्रियतम को आ गया होश,
दर -दर फिरता करता रोष।
समय -समय पर प्रेमी इकट्ठे हुए,
बदलाव लाना हैं इसलिए।
परिवर्तन पसंद आया दिलबर को,
सोचा मुझे ही संभालना हैं अपने साथी को।
प्रेमी है ये अलबेले,
करते सब मस्ती में बल्ले-बल्ले।
एक हैं "पृथ्वी" दूजा "मनुष्य",
जोड़ी ऐसी जैसे गुरु शिष्य।
कभी बन जाते मां पुत्र,
इसमें छिपा हैं जीवन का मूल सूत्र।
रिश्ता जो भी हो दो जीवंत आत्मा में,
कुछ चुनिंदा शब्द ही हैं "अनन्या" के पिटारे में।

