माथे की बिंदी
माथे की बिंदी
तुम्हारे माथे की बिंदिया
ग़ज़ब है लेकिन
जब ये तुम्हें भारी लगे
उतार फेंकना तुम इसे
तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट
मधुर है लेकिन
जब ये तुम्हारे हाथ बांधे
उतार फेंकना तुम इन्हें
सुंदर लगती हो पहने
इन आभूषणों को तुम लेकिन
जब ये तुम्हें क़ैद करे
उतार फेंकना तुम इन्हें
तुम्हारे ये चमकीले झुमके
कहीं खोना मत तुम लेकिन
जब ये तुम्हारे कान बन्द करे
उतार फेंकना तुम इन्हें
तुम्हारी ये पायल के घुंघरू
छनक उठते हैं चलने पर लेकिन
जब ये तुम्हें रोकना चाहें
उतार फेंकना तुम इन्हें
किसने कहा कि
सिंगार के बिना
तुम अधूरी हो ?
अगर अधूरी लगो तो
निकल पड़ना अपनी खोज में
पढ़ना वो किताबें जो
तुम्हें ख़ुद से मिला दें
और सुनो !
जो भी तुम्हें रोकना चाहे
उखाड़ फेंकना तुम उन्हें।

