रिश्ता प्यार का
रिश्ता प्यार का
जब किसी का दिल प्यार में होता है.. मन की उमंग में तरंगें खाता हैं. तब उसके दिल से कविता बनती हैं!
हर सुबह हर शाम हो तुम।
बिन कहे मेरी ही ख़ामोशी का
तन्हाई का सुखद आलम हो तुम।
कहती नहीं जताती नहीं.
पर जबसे नैना मिले अपने
तबसे तुम ही मेरा पहला प्यार हो।
यूँ तो हमारी एक अपनी अलग जिंदगानी हैं,
पर तेरे मेरे नैना की एक अलग कहानी हैं।
ना तुम मिलते हों ना हम मिलते है,
पर मेरी अनकही बीती कहानी हो तुम।
बाते अब हमारी कुछ ख़ास होती नहीं,
खामोशी अब हमारी कभी सोती नहीं
यूं तो दिल हर बार कहता हैं तुमसे
मिलने का रहता हैं इंतजार हमें
हमारी अनकही सुलझी कहानी हो तुम!
जी लेते है अब बिन तेरे हम
वहीं दीदारे मजबूर कहानी हो तुम।
समझ लेना हमे हमेशा तुम
जैसे हम हमेशा समझते है..तुम्हें!
वचनबद्ध है...आज से हम और तुम!
दिल का हमारा प्यार सच्चा हैं.. ये
प्यारा दिलदार ही समझ सकता हैं!
अब कहे क्या हम तुमसे मेरे दिलबर
कभी कुछ कहने को रहता नहीं!
जो मिला जितना मिला उसमें
हम–तुम हमेशा खुश रहेंगे!

