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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

Romance

मैं तुम और चाय

मैं तुम और चाय

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चाय , सुकून और तुम ,

तुम्हारी मीठी बातों में मैं गुम.. 


तुम्हारा स्पर्श,

और गंगा की घाट का किनारा,

आओ बैठें जरा, है क्या खूब नजारा.. 


ढलती हुई शाम,

तुम्हारे बांहों के दरमियान,

एक टक बस उन्हें देखना,

जिसमें बसती हो मेरी जान .. 


तुम्हारी पलकें,

और आंखों में मेरा चेहरा,

ना जाने क्या क्या छुपा है इनमें राज गहरा.. 


तुम्हारे होंठ,

और गालों पर शर्म की लाली,

हाय!!

तुमने तो धड़कन की रफ्तार बदल डाली... 


तुम्हारी सांसें,

और सांसों की गरमाहट में प्यार का मीठा एहसास,

जब भी पढ़ो मेरे लफ्ज़,

महसूस करो मुझे अपने पास.. 


बस इसी तरह,

हर रोज तुझमें होना है गुम..

तुम मैं और बस मैं तुम... 



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