अगर मगर चलेगी ना कोई
अगर मगर चलेगी ना कोई
अगर मगर चलेगी ना कोई, यह प्रेम की डगर,
मुस्कुराके तू साथ निभाना, मिलती फिर सहर।
इधर उधर जाने कहां, चूमती ज़िंदगानी वहाँ,
महकी फ़िज़ा बिखरी, रोशनी करती असर।
दिल-ए-उमंगों से परेशां, ना ज़माने की फ़िक्र,
छोड़ दें दुनियादारी प्रेम, से प्रेम की भी नज़र।
फूलो सी महकी फ़िज़ा, घटाओ की ना जाने,
ज़िन्दगी उम्र की तलाश, में चल पड़ी है डगर।
अगर मगर जाने कहा, अनजाने मिले कहाँ,
ख़ामोश है ज़िन्दगी ना, हमारी कोई ख़बर।
अधूरे रास्ते चाँद तारों, के बीच जगमनगाते,
शबनमी महकी खुश्बू, फ़िज़ाओं का असर।
महसूस करे अब क्या, अजनबी मिले दोनों,
प्रेम प्रीत की माला से, बंधता रिश्ता जिधर।
सूझबूझ से समझ लें, दुनिया दारी छोड़ देना,
नही किसी काम ये, "हार्दिक" आती उम्रभर।

