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Sangeeta Agarwal

Romance

4  

Sangeeta Agarwal

Romance

प्रेम

प्रेम

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प्रेम को कैसे समझाया जाए,

प्रेम को शब्दों में न बांधा जाए,

परिभाषित करने को इसको

शब्द कम पड़ जाते हैं....


शायद इसीलिए "मुस्कराहट" बनी,

"आंखें" और" मौन" बना,।

बिना बोले,समझाए,सब कुछ समझ

आ जाये,वो ही प्रेम कहलाये।


ये दो रूहों की आपसी मुलाकात है,

बिना बोले,कहे,दो लोगों की बात है।

इसमें आंखे सब कुछ बोल जाती हैं,

मौन और मुस्कराहट,सारे राज खोल जाती है।



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