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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

Romance

राधा

राधा

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मेरे अंतर्मन में तुम यूँ शामिल हो राधा

जैसे सावन में बारिश की फ़ुहार लुभाती है

एक डाकियें की दी हुई चिट्ठी कोई हाल सुनाती है


हर एक अल्फ़ाज में प्रियतम का एह्सास होता है

हर शब्द में जैसे नज़दीकियों का आभास होता है


पढ़ते ही जैसे रोम रोम खिलता है

प्यासी जमीं के लिए जैसे बादल बरसता है


मेरे अंतर्मन में तुम यूँ शामिल हो राधा


जैसे जैसे कोई अल्फ़ाज कागज़ पर लिखा जाता है

एक साया निगाहों में हर वक़्त लहराता है


जैसे किसी इत्र की महक साँसों में घुलती है

जैसे नाज़ुक दिल के संग ये धड़कनें चलती हैं

हाँ मेरे अंतर्मन में तुम यूँ शामिल हो राधा।


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