ये उन दिनों की बात है
ये उन दिनों की बात है
वाह! क्या बात है, वाह! क्या याद है,
ये उन दिनों की बात है।
लिखने की इच्छा है,
सुनहरा है ये पल।
बात है उन गुजरे पलों की,
जब हुई जीवन की शुरुआत है।
यूँ तो नहीं होता कोई,
जन्म से कलाकार।
पर जब कहा जाए चित्र बनाओ,
बनाता जीवन का आधार है।
न कोई तूलिका, न कोई पेंट,
सरल-सहज भाव है।
पांच रंग भर के दर्शाया,
जो धरती माँ के उपहार है।
अपनी बात अगर करूँ मैं,
याद आई तीसरी-चौथी कक्षा है।
परम- प्रिय है चित्रकारी मेरे लिए,
संग्रह का ये चित्र अपने आप में महान है।
नन्हे कदम एवं बुद्धू सा मन,
ले के चला ढोलक सा बस्ता।
और मीठी तीखी मुस्कान,
बचपन खुशियों की सौगात है।
स्मृति ये बे मोल है,
ये उन दिनों की बात है।
