प्रेम
प्रेम
प्रेम क्या है...
प्रेम प्रेम है!
प्रेम विश्वास है!
प्रेम मन का श्रंगार है!
प्रेम मन का दर्पण है!
प्रेम समर्पण की बेला है!
प्रेम दो दिलो का बंधन है!
एक-दूसरे केे दिल में..
एक दूसरे के लिये..
दिल से किया समर्पण ही..प्रेम है!
प्रेम-भावना किसी की किसी के साथ;
किसी से निसंकोह जुड़ी रहना प्रेम है!
प्रेम एक दिल से किया आत्म-विश्वास है!
प्रेम ही प्रेम का साथी है!
तभी तो जीवन हमारा
दिया और बाती है!
सब का साथ पाना प्रेम है!
प्रेम नहीं तो जीवन बेरंग है!
प्रेम के लिये अमर हो जाना;
सबसे बड़ा प्रेम है।

