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Neha Pandey

Tragedy Inspirational

4.5  

Neha Pandey

Tragedy Inspirational

दहेज़ की दास्तां

दहेज़ की दास्तां

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हस्यपद तो है , मगर सत्य है

एक रिश्ता अब पैसों से बन रहा है,

कीमती इंसान नहीं अब

उसकी दौलत को आंका जा रहा है ,

धन और मन बेचकर 

एक रिश्ता ख़रीदा जा रहा है ।


शादी है या व्यापार

कोई फ़र्क नजर नहीं आता ,

इंसानियत नहीं , नौकरियों के दम पर

बोलियां लग रही है ,

जिसने ख़ुद को नीलाम कर दिया

उसका काफ़ी नाम हो रहा है ।


ख़रीदा हुआ सामान 

आखिर क्या उम्र भर टिकता है ,

मिला हुआ धन क्या

जीवन भर चलता है ,

फिर कैसे रिश्तों को ताउम्र निभाने का

वादा किया जा रहा है ।


गुनहगार सिर्फ वो नहीं&nb

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जो मांगकर ले रहे हैं ,

दोषी वो भी है जो

मांग पूरी कर रहे हैं ,

खिलौना समझकर 

जिसकी बोली लग रही है

उसका हश्र होगा कैसा 

क्या सोचा जा रहा है ।


ये जो लड़की की ख़ुशी का नाम देकर

खुद को कर्जदार बना रहे हैं ,

असल में उम्र भर का

उसको नासूर दे रहे है ,

यूं हीं दहेज़ से नहीं मरती 

हर रोज़ लड़कियां ,

वास्तविकता छिपाकर 

नहीं बनती जिदंगियां ।


वक्त है इसे अब जड़ से मिटाने का

वरना समाज कमजोर हो रहा है ,

हस्यपद तो है , मगर सत्य है

एक रिश्ता अब पैसों से बन रहा है ।



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