मेरे हक में नहीं
मेरे हक में नहीं
यूं बेरुखी तुम्हारी
अच्छी नहीं ,
हाल पूछो ज़रा
हमसे भी कभी ,
क्या कहानी हमारी
सच्ची नहीं।
मेरे हक में नहीं
तेरे दिल की जमीं ,
कैसे रखूं उस मकां पर कदम
जिसकी नींव मैंने रक्खी नहीं।
गमज़दा जिंदगी से
शिकायत नहीं ,
हैरत तो हुई हमें
इस बात से ,
मर्ज हुआ भी तो ऐसा
जिसकी कोई दवा ही नहीं ।