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Neha Pandey

Romance

4  

Neha Pandey

Romance

नाराज़गी कैसी तुमसे

नाराज़गी कैसी तुमसे

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नाराजगी कैसी तुमसे 

मेरा हक नहीं तुम पर।


किताब भरी है 

किस्सों से तुम्हारी ,

मैं पढ़ सकूं उसे

ऐसी लिखावट नहीं उस पर ,


नाराज़गी कैसी तुमसे

मेरा हक नहीं तुम पर।


शिकायते करनी है तो

चांद से कर लूं ,

मेरी बातों को 

ख़ामोश रहकर सुनता है ,

तुमसे जो बयां कि तो

कहीं पलटवार न हो मुझ पर,


नाराज़गी कैसी तुमसे

मेरा हक नहीं तुम पर।



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