वजह तो होगी।
वजह तो होगी।
मुझे दर्द है कि
अब मुझे दर्द नहीं होता
बेखौफ जी लेती हूं पल को
कि अब डर नहीं होता ।
वो ठहर गया है
किसी कोने में बूंद की तरह
छिपा लेती कहीं उसे अगर
वो आंसू न होता।
अब न खोने का डर है
न पाने की चाहत
खो जाती कहीं अंधेरे में
अगर गम ने गम से
मिलाया न होता ।
जो मिल रहा है
उसकी शिकायत नहीं
और जो न मिला
उस पर अफ़सोस भी नहीं,
ये धूप इतनी सुहानी न होती
अगर सुबह कोहरा न होता।