साथ चलने दीजिए
साथ चलने दीजिए
बहते हुए घावों में
मरहम लगाने दीजिए,
जख्मों के निशान तो
हजारों देखने आयेंगे।
बादलों से छाई रात में
एक दीया जलाने दीजिए,
चांद के साये तले तो
तारे भी चमक जाएंगे।
उलझनों के समंदर में
एक डुबकी लगाने दीजिए,
खुशमिजाज लहरों में तो
सब संग तैरते नज़र आयेंगे।
खामोशियों के लफ्ज़ को
इशारों से पढ़ने दीजिए,
जुबां को सुनने वाले
हर तरफ़ दिखाई देंगे।