पुम्बा और पोली
पुम्बा और पोली
वो पहले प्यार की पहली बोली
दिल से निकली दिल की डोली
नैनो में सतरंगी होली
नादां साजन मैं भी भोली
वो पहले प्यार की पहली बोली ......
नई सेज का नया ही कोना
दौड़ती धड़कन भूली सोना
कितने सारे लोग है घर मे
फिर भी ये लड़की कितनी अकेली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
कितना कुछ छूटा एक की खातिर
दुःख उनसे क्या करती जाहिर
साजन आये पूछा क्या हुआ
क्या करती दिल की गांठ न खोली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
पास में आये घूंघट खोला
मुस्काये वो दिल मेरा डोला
लेके हाथ मेरा वो बोले
कितनी सुंदर तू अनमोली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
मैं हूं दिया और तुम मेरी बाती
मैं तुम जनम जनम के साथी
साजन बोले पास हूँ तेरे
मुझमें शामिल हो हमजोली
वो पहले प्यार की पहली बोली ......
रात थी मैं, वो रात की रानी
उनकी खुशबू सांसे जानी
हाय हया थी पिघला मन था
दिल की हिलोरें दिल मे संजोली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
बिसरी दुनिया उनकी बातें
लगता यूँ ही जनम बिता दें
कांप गई मैं एक ठिठोली
ड्योढ़ीबान पलके ना खोली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
पिया ही जाने कैसे क्या हुआ
बाहों में थी मैं आंख जो खोली
देख के उनको मुंह से निकला
सच्ची पिया मैं तेरी हो ली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
घुमड़ घुमड़ कर बरसी मुझ पर
प्यार की बरखा भीगी चोली
मीठे आंसू नैना छलके
प्यार ने मेरी भर दी झोली
वो पहले प्यार की पहली बोली.....
मेरे पहले प्यार की पहली बोली
कैसे कहूँ मैं कित कित डोली
हम दोनों में एक जान अब
वो मेरे "पुम्बा" मैं उनकी "पोली।"