चाँद का दुनियां से नाता
चाँद का दुनियां से नाता
काहाँ से आते, कहाँ चले जाते,
तुम्हारा यूँ आना जाना प्रेम,
सुंदरता सौंम्य, शीतलता से नाता।।
सूरज से तुम्हारा मित्र शत्रु सा नाता
सूरज के जाने से तुम्हारा होता है
आना तुम और सूरज ही युग
ब्रह्मांड समय व्यख्याता।।
चंद्र तुम प्रेम के पग पल प्रहर
तुझे ही देख मानव प्रेम की
प्रेयसी चुनता अपनाता।।
सुंदरता का दर्पण तू युग मे हर
कोई मुखड़ा अपना तेरे दर्पण में
देखता इतराता।।
कभी तुम दूज के चंदा कच्चे
धागे का रिश्ता बहन भाई का
पावन नाता।।(भैया दूज)
चौथ के चन्द्र गण गण
पति उत्सव अम्बर से आवनी पर आता
सुत शंकर सत्य शुभ मंगल कहलाता।।
(महाराष्ट्र का गणेश उत्सव)
सुहागिन करती है, तेरी ही पूजा अर्घ्य आराधना
तू ही सुहागन का चौथ का चन्द्र भी कहलाता।।(करवा चौथ)
तू ही वात्सल्य की महिमा
तू माँ ममता चरणों का युग संसार
चौथ का चंदा युग रिश्तो को भाता।। (गणेश चतुदर्शी)
अपनी कलाओं में निकलता
दूसरे दिन खुदा ईश्वर की सच्चाई रमजान
ईद ईश्वर एक सच्चाई युग को समझाता।।(ईद)
तेरे चलने से दुनियां में इस्लाम जागा खुदा का करिश्मा चाँद तू ही
बतलाता।। (इस्लाम मे गणना चाँद की गति पर होती है)
चौदवीं का चाँद, परी, हूर,अप्सरा जन्नत
स्वर्ग सुख सुंदरता की परिभाषा।। (चौदहवी चाँद)
पूर्णिमा का चंद्र तेरा रूप
युग तेरी चाँदनी की शीतलता में
नहाता शरद का चन्द्र युग मानव
जन्म जीवन में अमृत की वारिश
जीवन अनुराग जगाता।। (शरद पूर्णिमा )
शरद चन्द्र,शरद पूर्णिमा तेरी
महिमा का तेरी हस्ती मस्ती का
युग संसार सारा।।

